◆ भाग - 13 ◆
राहुल यह सुन राधारानी को देख मुस्कुराने लगा , वह उनके प्रेम रूपी कोमल कमल नयनो को चुपचाप एकटक ऐसे देख रहा था मानो उनमे खो ही गया हो |
थोड़ी देर बाद राहुल के पिता ने उसे वापस ले जाने के लिए उसका हाथ पकड़ा क्योंकि उन्हें लग रहा था अब मिलन पूर्ण हो चुका होगा राहुल का उसकी राधा अम्मा से !! ; अचानक से राहुल अपने पिताजी का हाथ झटके से छुड़ाकर राधा रानी की मूर्ति के पैरों में गिर कर प्रार्थना करने लगा " मुझे खुद से अलग मत करो राधा अम्मा !!... मैं नही रह पाऊंगा तेरे बिना !!"
वहां सब उसके ऐसा करने से पुनः परेशान हो रहे थे क्योंकि राहुल घर जाने को मिलन होने के बावजूद तैयार नही हो रहा था !, पंडित जी और राहुल के पिता ने जैसे ही अपने कदम उसकी ओर बढ़ाए ; उसी समय तुरंत मंदिर की घंटी अपने आप बजने लगी , बाहर तूफान आगया , आसमान में अंधेरे की चादर छा चुकी थी ...मानो समय थोड़ी देर के लिए रुक सा गया हो !!|
इन सबसे बेखबर राहुल राधा रानी के कमल चरणों में पड़ा अब भी रो रहा था , तभी अचानक उसे अपने सर पर एक कोमल हाथ के स्पर्श का अहसास हुआ और एक मीठी सी आवाज सुनाई दी ; " लल्ला !!"
आवाज़ सुन राहुल ने प्रसन्नता और आश्चर्य से ऊपर देखा तो पाया उसकी राधा अम्मा साक्षात उसके सामने खड़ी थी | बिना देर किए वो जोर से उनके गले लगया ...आखिर इस पल का इतना लंबा इंतजार जो किया था उसने !! , ऐसा प्रेम देख राधारानी भी भावुक हो गई ; उनके अश्रु की एक बूंद राहुल के माथे पर जाकर गिरी और उसे उसी वक्त अनन्त प्रेम का आभास हो गया हो और वो अनंत ज्ञान उसे स्वतः ही मिल गया जिसकी ऋषि मुनि जन्मों तक तपस्या करते हैं ....उसे ये सभी निश्छल प्रेम और भक्ति के वसीभूत होकर प्राप्त हुआ |
राहुल - "अम्मा !! अपने लल्ला को माफ कर दो ...मुझे अब कभी खुद से दूर मत करना !!"
राधारानी - " मैं तो सदैव से ही तेरे पास थी और भला माँ कभी अपने बच्चे से नाराज़ भी होती है क्या !" (राधारानी मुस्कुराते हुए बोली )
राहुल - " मैं तो आपको देख ही नही पा रहा था ... पर अब से मैं आपको कभी नही भूलूंगा ...वादा करता हूं मैं ...मैं आपसे दूर नहीं होना चाहता ...आपके लिए कुछ करना चाहता हूँ अब !|"
राधारानी - " मुझसे दूर थोड़ा ही ... तुम तो मेरे और भी ज्यादा पास आने वाले हो!! तुम्हारे साथ अब तक जो भी हुआ था वह सब एक प्रकार से सीढ़ियां ही थी मुझ तक पहुँचने के लिए ! |
एक भक्त और भगवान का रिश्ता केवल एक जन्म का नहीं बल्कि जन्मो जन्म से चला आ रहा होता है !! ;
हर जन्म में भक्त अपने आराध्य के और भी ज्यादा करीब आ जाते हैं , और वो तब तक आते रहते हैं जब तक वो परमात्मा का साक्षात्कार न कर ले !! नियति सवयं ही इसमे सहयोग करती है !|
मैं तो हमेशा से ही तुम्हारे साथ थी , बस तुम ही नहीं देख पा रहे थे !! , पर तुम्हारी इस अद्भुत भक्ति के वशीभूत होकर मैं तुमसे मिलने के लिए विवस हो गई और अंततः तुम्हरी अनेक जन्मों की तपस्या पूर्ण हो ही गयी !! तुम चिंता क्यों करते हो ...जब भी तुम बुलाओगी मैं चली आऊंगी |"
(मनमोहक मुस्कान बिखेरते हुए राधा रानी बोली)
राहुल - " सच कहा आपने ! मनुष्यों का संबंध तो बस शरीर तक ही सीमित है परंतु आत्मा और परमात्मा का रिश्ता काल से भी परे है !!..... बस मेरी एक ही बात समझ नही आरही ; क्या मेरा जाना जरूरी है अम्मा ?"
राधारानी - " यह सारा संसार तो मेरी संतान के समान है ...पर ज्यादातर माया के मोह में फसकर मुझे भूल चुके हैं ... मैं यह नही कहती हूँ कि सब काम छोड़ कर सिर्फ मेरी पूजा करो ... मैं तो बस चाहती हूँ कि थोड़ा सा अपना समय और प्रेम वो मुझे दे ... आखिर एक माँ अपने बच्चे इससे ज्यादा क्या चाहेगी !? |
तुम जैसी दिव्य शक्ति के सानिध्य में प्रेम का पुनः स्मरण करना आसान बन जाएगा उन सब के लिए !!; जिस प्रकार मेरा घर बरसाना और वृंदावन कहलाता हैं ...मैं चाहती हूँ तुम अपनी भक्ति और प्रेम से सारे विश्व को मेरा घर बनाने की व्यवस्था करो और अपने जन्म के उद्देश्य को पूरा करो! |"
राहुल - " पर आपका घर कैसे बनाऊँ मैं सारे विश्व को अम्मा !!? "
राधारानी - " जिन प्राणियों के ह्रदय में भक्ति और प्रेम का वास होगा वही मेरा धाम होगा !"
राहुल - " मेरी प्यारी अम्मा आपकी प्रत्येक आज्ञा मानना मेरा धर्म और सौभाग्य है ...आपको कभी निराश नहीं करूँगा ... इस संसार के प्रत्येक प्राणी में आपका ही अंश उपस्तिथ है ... उनका मार्गदर्शन एवं उनकी सेवा कर अपना कर्तव्य का पालन भक्तिमय होकर करूँगा !! बस अपना आशीर्वाद और कृपा सदा बनाए रखना !|"
राधारानी - मेरा प्रेम और आशीर्वाद तो सदैव से ही तुम्हारे साथ है और हमेशा रहेगा भी !! तुम्हारा कल्याण हो !! ये मेरे कंठ की दिव्य माला मैं तुम्हें उपहार स्वरूप में देना चाहती हूं ... ये लो मेरे लल्ला !!"
राहुल - " बस आपका साथ चाहिए ... भला और किसी वस्तु की क्या आवश्यकता !"
राधारानी - " मां के प्रेम को कभी मना नहीं करते हैं ... ये लो लल्ला !!" (पहले बनावटी गुस्सा दिखा फिर उसे मुस्कान में बदलते हुए राधेरानी बोली)
उसके बाद राधारानी ने बड़े प्रेम से राहुल को माला पहनाया और माला पहनते ही तूफान अपने आप शांत हो गया ; मंदिर के सब लोग मौसम खराब देख डर गए थे , उन्हें राहुल और राधारानी की वार्ता के बारे में कुछ भी ज्ञात नही हुआ ... अब ऐसा क्यों हुआ !! ये तो हमारी लाडली जू ही जाने !!|
राहुल के पिता मौसम की खराबी की बात छोड़ राहुल के पास गये तो उन्होंने देखा कि वह बेहोश था , पंडित जी भाग कर जल लेकर आए फिर उसमें से कुछ बूंदे राहुल के मुँह पर छिड़क दी |
जल पड़ते ही राहुल होश में आगया और उसका भुखार भी पूर्ण रूप से अपने आप गायब हो चुका था !! इस चमत्कार को देख सब हैरान हो गए थे |
राहुल के गले में दिव्य माला देख पंडित जी ने उससे पूछा " तुम्हारे पास ये अद्भुत माला कहाँ से आई !!? "
माला को देखते हुए रहस्मयी मुस्कान के साथ राहुल ने जवाब दिया " ये किसी का दिया अनमोल उपहार है !"
ये कहकर वो पीछे अपने घरवालों की ओर मुड़ा ; अपने बच्चों को सही सलामत देख वो प्रसन्न थे , बाकि उन्हें और क्या चाहिए था इसलिए किसी ने ज्यादा प्रश्न भी नही किया |
राहुल भी चुपचाप घर जाने को मान गया ... उसके साथ क्या हुआ था ये उसकी और उसकी राधा अम्मा की बीच की बात थी !! तो वह भला किसी दूसरे को क्यों बताता !!; राधारानी को धन्यवाद कर राहुल और उसका परिवार घर की ओर निकलने लगे |
थोड़ा आगे चलकर राधा नाम ले वो पीछे मुड़ा ..." जल्दी आऊंगा अम्मा !!" अपने मन में कहकर वो निकल पड़ा अपनी जीवन के उद्देश्य पूर्ति की राह की ओर मुस्कुराते हुए... श्री राधेरानी की कृपा से ||
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इस रचना के मध्याम से मैंने एक भक्त की भगवान के प्रति भक्ति प्रेम को पहचाने तक की राह को कहानी के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है !!||
जिस प्रकार हमारे शरीर की उन्नति के लिए रोटी , कपड़ा और मकान की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमारी आत्मा की उन्नति के लिए प्रभु नाम की आवश्यकता पड़ती है !!
ये आप पर निर्भर करता है आप उस प्रभु को किस नाम से पुकारते है और उसके साथ खुद को किस प्रकार से जोड़ते है !!
मेरी आप सभी से विनती है कि आपने दिन से थोड़ा सा समय निकाल कर भगवान को धन्यवाद जरूर करे... क्योंकि आज जो भी कुछ हमारे पास है उनकी ही देंन है वो चाहें ये जीवन हो या फिर आपकी प्रत्येक स्वास ! ... भले ही वो हमसे कुछ नही कहते है ... पर इसका मतलब ये तो नही उनका अस्तित्व ही नहीं है !! |
एक बार उनसे सच्चे मन से रिश्ता जोड़ कर तो देखो ... एक बार उन्हें अपनाकर तो देखो ... फिर आपको पता चलेगा एक भक्त और भगवान के बीच क्या पावन रिश्ता होता है !! |
हम भगवान को कुछ दे तो नहीं सकते है ...सब तो उनका ही है !! पर धन्यवाद कहकर कम से कम उनका आभार तो जता ही सकते ही है ||
● समाप्त ●
~ हर्षिता जोशी " राधिका कृष्णसखी"
🙏💐आशा करती हूँ आपको मेरी रचना पसन्द आएगी 💐🙏 अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद 🙏🎉❤️
🙏💝राधे राधे💝🙏
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Harshita.radhika88@gmail.com
Comments
Mai to dhanya ho Gaya esi kahani(lila) Ko padh kr...🙏
Mai lekhak k mn ki us awastah k bare Mai soch Raha hu Jahan pr shayama ju ki chhawi bni hui hai... is anmol kahani(lila) ka warnan...,Ye koi sadharan wyakti k dwara sambhav to nahi malum pdta hai... Ye to bs ek sant ya phir Sache bhakt hi kr sakte hai🙏🙏🙏
Mai dhanyavad deta hu lekhak Ko jinhone mujhe...🥺... Apne is lila K madhyam se Radha amma ki prem mere Dil Mai utar diye🥺🙏🙏🙏