◆ भाग - 12 ◆
होटल में पहुंचकर राहुल को एकदम से तेज बुखार आ गया फिर भी उसका मुख बस राधा अम्मा की ही पुकार लगाए जा रहा था , पूरी रात उसके नेत्रो से विरह पीड़ा की अग्नि रूपी अश्रु निकले जा रहे थे |
राहुल के पास बैठे उसके घर वाले को वालों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था , उन्होंने पास के डॉक्टर को भी दिखाया पर कुछ भी असर नहीं हुआ ... होता भी कैसे दर्द तो आत्मा में हो रहा था शरीर में थोड़ा !|
आखिर इस तेज बुखार के डर से उन्होंने घर वापस जाने का मन बना लिया , जब राहुल को गोद मे उठा ले जाने लगे तब तेज बुखार के बावजूद वो सिर्फ राधारानी के पास जाने की जिद करने लगा ; तब थक हारकर उन्होंने राहुल को दर्शन कराने का फैसला ले ही लिया , इस उम्मीद में शायद दर्शन करके उसकी तबीयत में कुछ अंतर आ जाए |
मंदिर में आज भीड़ कम थी घरवालों को देखकर थोड़ा आश्चर्य तो हुआ , वो सोच रहे थे कि कल तो इतनी अधिक भीड़ थी की किसी भी व्यक्ति का एक पैर रखना भी मुश्किल हो रहा था और आज मंदिर इतना खाली ! पर ज्यादा ध्यान न देते हुए राहुल को गोद में उठा मंदिर की ओर अपने कदम बढ़ाने लगे |
अब भी राहुल का शरीर ज्वर से तेज तप रहा था और मुख पर अब भी केवल एक ही नाम उसकी राधा अम्मा का था | मंदिर के अंदर जैसे ही राहुल ने मूर्ति की एक छोटी सी झलक देखी तो वह खुद को गोद से छुड़ाकर दौड़ कर राधारानी की मूर्ति की ओर जाने लगा , आज भीड़ कम थी तो उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई आगे जाने में |
राधारानी की मूर्ति के सामने आकर राहुल राधारानी की आंखों में देख रहा था एकटक होके ...आज वो अपने अश्रुओं को चाहकर भी शान्त नही कर पा रहा था क्योंकि अब उसके अंदर का प्रेम रूपी ज्वालामुखी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था |
आँखों मे अश्रुओं की धारा लिए राहुल राधारानी की मूर्ति से बोला -" अम्मा देख तो !!... तेरा लल्ला आ गया है !!"
ये कहकर वो बस रोता जा रहा था |
पंडित जी की निगह जब राहुल पर पड़ी तो वह उससे कुछ कहने को आगे बढ़ ही रहे थे कि तभी उससे पहले राहुल का परिवार भी वहाँ आगया पीछे-पीछे |
पंडित जी मुस्कुराते हुए राहुल के पिताजी से पूछने लगे " क्या यह आपका लड़का है !?"
राहुल के पिताजी - 'हां पंडित जी !"
पंडित जी - " लाडली जी से देखो तो कितना ज्यादा प्रेम करता है !! आप सच में बहुत भाग्यशाली हैं ...हर किसी को ऐसा अद्धभुत प्रेम नसीब नहीं होता है !|"
नई अम्मा - " पंडित जी अब क्या बताएं ! कल रात से ही ये बुखार में तप रहा था ...बस राधे-राधे बोलता जा रहा था , कोई दवाई भी काम नहीं आ रही थी , इसिलए हम घबराकर यहाँ ले आए !! "
दादी - " बड़े ही परेशान है हम लोग रात भर से ...रात भर ये सोया ही नहीं ...बस यही आने की जिद्द कर रहा था, सारा समय सिर्फ बिस्तर में पड़ा रोता ही जा रहा था ...न जाने किस नज़र गयी है ... हम तो इसी उम्मीद में आए हैं शायद हमारा लल्ला ठीक हो जाए !|"
पंडित जी - " अरे यह आप क्या कह रही हो ? ! ये तो आज सुबह ही मुझसे मिलकर गया है !!'
पिताजी - " अरे पंडित जी !! यह नामुमकिन है ... हम लोग तो हर पल इसके साथ थे !|"
पंडित जी - " नहीं जी !! मुझे अच्छी तरह से याद है ... आज सुबह ही यह आया था ; जब लाडली जू के श्रृंगार के वस्त्र अचानक गायब हो गए थे , तो उसी समय यह साड़ी लेकर आया और बोला की आज राधा रानी को यह पहनाना | ऐसा कहकर ये दौड़ता हुआ हवा हो गया , आरती का समय होने वाला था तो हमारे पास कोई और चारा भी नहीं था इसलिए आज हमने इसकी दी हुई साड़ी से ही किशोरी जी का श्रृंगार किया है ...देखिए !! "
सारे घरवाले राधारानी की मूर्ति को ध्यान से देख कर चौक गए थे ! क्योंकि यह वही साड़ी थी जो राहुल ने राधा रानी के लिए मंगवाई थी | आज उन्हें भी आज रानी कृपा का आभास हो रहा था ...स्वमं भगवान रूपी श्री राधे ने उनके बेटे की भेंट स्वीकार कर ली थी... राहुल का प्रेम सच्चा है आज उन्हें यह पता चल गया था |
पिताजी नम आंखों से राहुल के कंधे पर हाथ रखकर बोले " देख तो बेटा !! तेरी राधा अम्मा ने तेरी ही दी हुई साड़ी पहनी हुई है !!"
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क्रमशः 💐
🙏 राधे राधे ❤️
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Comments
Aaj Kishori ji ki adbhut lila padhkr aanad aa Raha hai🥰